प्रारंभिक जीवन
महर्षि वेदव्यास, जिन्हें कृष्ण द्वैपायन के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म के महान ऋषि और विद्वान थे। उनका जन्म एक द्वीप पर हुआ था, जिसके कारण उन्हें “द्वैपायन” कहा गया। उनकी माता सत्यवती और पिता ऋषि पराशर थे। बचपन से ही वे असाधारण प्रतिभा के धनी थे और उन्होंने वेदों तथा अन्य शास्त्रों का गहन अध्ययन किया।
महत्वपूर्ण योगदान
- वेदों का विभाजन – उन्होंने वेदों को चार भागों (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद) में व्यवस्थित किया, जिससे उन्हें “वेदव्यास” की उपाधि मिली।
- महाभारत की रचना – उन्होंने महाभारत नामक महाकाव्य लिखा, जिसमें श्रीमद्भगवद्गीता समाहित है।
- पुराणों का संकलन – उन्होंने 18 पुराणों को संकलित किया, जिनमें विष्णु पुराण, शिव पुराण और भागवत पुराण प्रमुख हैं।
- ब्रह्मसूत्र की रचना – यह वेदांत दर्शन का प्रमुख ग्रंथ है।
जीवन दर्शन
वेदव्यास ने धर्म, नीति और मोक्ष के मार्ग का उपदेश दिया। उनके अनुसार, सत्य और न्याय का पालन करना ही मनुष्य का परम कर्तव्य है।
महाभारत में भूमिका
वे कौरव-पांडवों के काल में सक्रिय थे और उन्होंने धृतराष्ट्र तथा युधिष्ठिर को जीवन के महत्वपूर्ण उपदेश दिए।
उपसंहार
महर्षि वेदव्यास का जीवन ज्ञान, तपस्या और मानवता की सेवा को समर्पित था। उनके ग्रंथ आज भी मानव जाति के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
हिंदू धर्म के 18 प्रमुख पुराणों का संक्षिप्त विवरण
1. ब्रह्म पुराण
सर्वप्रथम पुराण होने के कारण ब्रह्म पुराण को विशेष महत्व प्राप्त है। इस ग्रंथ में सृष्टि रचना से संबंधित विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की गई है। विभिन्न देवी-देवताओं की उत्पत्ति, पृथ्वी का निर्माण तथा मानव सभ्यता के विकास से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य इसमें समाहित हैं। धार्मिक अनुष्ठानों एवं यज्ञों के विधि-विधान का भी इसमें उल्लेख मिलता है।
2. पद्म पुराण
इस विशाल ग्रंथ को पाँच प्रमुख खंडों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक खंड में विभिन्न लोकों एवं उनके स्वरूप का वर्णन प्राप्त होता है। धार्मिक स्थलों की महिमा तथा प्राचीन राजाओं के शासनकाल से संबंधित ऐतिहासिक जानकारी इसकी विशेषता है। भक्ति भावना को विकसित करने वाले उपदेश भी इसमें सम्मिलित हैं।
3. विष्णु पुराण
विष्णु भगवान के विविध रूपों एवं अवतारों का सविस्तार वर्णन इस पुराण में उपलब्ध है। ब्रह्मांड की रचना प्रक्रिया तथा विभिन्न युगों के स्वरूप को समझने में यह ग्रंथ विशेष सहायक है। राजवंशों के इतिहास तथा उनके कालखंड का विवरण भी इसमें प्रस्तुत किया गया है।
4. शिव पुराण
शिवजी की महिमा का गुणगान करने वाले इस ग्रंथ में उनके विविध रूपों एवं लीलाओं का वर्णन है। धार्मिक प्रतीकों के महत्व तथा आध्यात्मिक साधनाओं के विधान का भी इसमें उल्लेख मिलता है। जीवन के वैराग्यपूर्ण पक्ष को समझने के लिए यह पुराण विशेष उपयोगी है।
5. भागवत पुराण
सर्वाधिक प्रसिद्ध इस धार्मिक ग्रंथ में भक्ति मार्ग के सिद्धांतों को विस्तार से समझाया गया है। आध्यात्मिक ज्ञान के साथ-साथ नैतिक शिक्षा से संबंधित महत्वपूर्ण बातें इसमें समाहित हैं। विभिन्न दार्शनिक तत्वों की व्याख्या भी इसकी विशेषता है।
6. नारद पुराण
संगीत एवं कला से संबंधित विविध पहलुओं का वर्णन इस पुराण में प्राप्त होता है। धार्मिक अनुष्ठानों के सही तरीकों तथा व्रत-उपवास के नियमों के बारे में विस्तृत जानकारी इसमें उपलब्ध है। सामाजिक व्यवस्था से जुड़े महत्वपूर्ण सिद्धांत भी इसमें सम्मिलित हैं।
7. मार्कण्डेय पुराण
देवी की महिमा का वर्णन करने वाले इस ग्रंथ में आध्यात्मिक ज्ञान के गूढ़ रहस्यों को समझाया गया है। मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं तथा उनके अंतर्संबंधों की विस्तृत व्याख्या इसमें प्रस्तुत की गई है। धर्म के सार्वभौमिक सिद्धांतों का भी इसमें उल्लेख मिलता है।
हिंदू धर्म के 18 पुराणों का विस्तृत परिचय
8. अग्नि पुराण
ज्ञान के विशाल भंडार के रूप में प्रसिद्ध अग्नि पुराण में विविध विषयों का समावेश है। इस ग्रंथ में आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धतियों से लेकर ज्योतिष शास्त्र तक का विस्तृत विवरण प्राप्त होता है। वास्तु कला और राजनीतिक सिद्धांतों के अतिरिक्त यह योग विद्या के गूढ़ रहस्यों को भी प्रकट करता है। भगवान विष्णु की भक्ति पर विशेष बल देने वाले इस ग्रंथ में अग्निदेव और महर्षि वसिष्ठ के मध्य हुए ज्ञान संवाद का विवरण मिलता है।
9. भविष्य पुराण
समय के पारदर्शी दर्पण के समान यह पुराण भविष्य की झलक प्रस्तुत करता है। सूर्य उपासना से संबंधित इस ग्रंथ में कलियुग की विशेषताओं और उसके प्रभावों का सूक्ष्म विश्लेषण किया गया है। धार्मिक अनुष्ठानों की विधियों के साथ-साथ यह राजाओं के कर्तव्यों और शासन पद्धति पर भी प्रकाश डालता है। विश्व के विभिन्न धर्मों से जुड़ी भविष्यवाणियाँ इसकी विशिष्टता को और बढ़ाती हैं।
10. ब्रह्मवैवर्त पुराण
कृष्ण भक्ति के मधुर रस से सराबोर यह पुराण राधा-कृष्ण की दिव्य प्रेम कथा का मनोहारी वर्णन प्रस्तुत करता है। गोलोक धाम की अलौकिक छटा और प्रकृति देवी की महिमा का विस्तृत विवरण इसमें समाहित है। वैष्णव परंपरा के सूक्ष्म तत्वों को समझने के लिए यह ग्रंथ विशेष महत्व रखता है। भक्ति मार्ग के उच्चतम आदर्शों को स्थापित करने वाला यह पुराण आध्यात्मिक साधकों के लिए अत्यंत उपयोगी है।
11. लिंग पुराण
शिव भक्ति का प्रमुख ग्रंथ होने के साथ-साथ यह पुराण शिवलिंग की उत्पत्ति और उसके दार्शनिक महत्व को रेखांकित करता है। सृष्टि उत्पत्ति के रहस्यों से लेकर युग धर्म के सिद्धांतों तक का विवरण इसमें प्राप्त होता है। मोक्ष प्राप्ति के विविध उपायों और साधनाओं का भी इसमें सविस्तार उल्लेख मिलता है। आध्यात्मिक जिज्ञासुओं के लिए यह ज्ञान का अक्षय भंडार है।
12. वराह पुराण
भगवान विष्णु के वराह अवतार को समर्पित यह ग्रंथ पृथ्वी की उत्पत्ति से संबंधित रोचक कथाएँ प्रस्तुत करता है। तीर्थ स्थानों की महिमा और धार्मिक व्रतों के विधि-विधान का विस्तृत वर्णन इसकी विशेषता है। भक्ति और ज्ञान – इन दोनों मार्गों का सुन्दर समन्वय इस पुराण में देखने को मिलता है। धर्म के मूल सिद्धांतों को समझने के लिए यह एक उत्कृष्ट ग्रंथ है।
13. स्कन्द पुराण
पुराण साहित्य में सबसे विशाल आकार वाला यह ग्रंथ भारत के पवित्र तीर्थ स्थलों का विस्तृत भूगोल प्रस्तुत करता है। कार्तिकेय भगवान को समर्पित इस पुराण में शिव-पार्वती विवाह और तारकासुर वध जैसी रोचक कथाएँ संकलित हैं। धार्मिक यात्राओं के महत्व और उनसे प्राप्त होने वाले पुण्य का विवरण इसमें विस्तार से दिया गया है।
14. वामन पुराण
विष्णु के वामन अवतार की कथा को केंद्र में रखकर रचित यह पुराण दान और सेवा के महत्व पर विशेष बल देता है। राजा बलि की कथा के माध्यम से यह त्याग और समर्पण के उच्च आदर्श स्थापित करता है। तीर्थ स्थानों की पवित्रता और धर्म के सार्वभौमिक सिद्धांतों का सुन्दर विवरण इसमें प्राप्त होता है। नैतिक मूल्यों की शिक्षा देने वाला यह एक उत्कृष्ट ग्रंथ है।
15. कूर्म पुराण
विष्णु के कछुए अवतार से संबंधित यह पुराण सृष्टि रचना के रहस्यों को उजागर करता है। योग विद्या के गूढ़ सिद्धांतों और वर्णाश्रम धर्म के नियमों का विस्तृत विवरण इसमें समाहित है। वैष्णव और शैव मतों के बीच सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास इसकी विशेषता है। विभिन्न देवताओं की पूजा विधियों का भी इसमें सविस्तार उल्लेख मिलता है।
16. मत्स्य पुराण
विष्णु के मत्स्य अवतार की कथा वाले इस पुराण में प्रलय और मनु की कथा का विस्तृत वर्णन है। प्राचीन वंशावलियों का ऐतिहासिक विवरण और मूर्ति निर्माण की कला से संबंधित जानकारी इसमें प्राप्त होती है। भारतीय पुरातत्व और इतिहास को समझने के लिए यह एक महत्वपूर्ण स्रोत है। धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं के अध्ययन में यह विशेष सहायक है।
17. गरुड़ पुराण
मृत्यु के बाद की गतियों और विभिन्न लोकों का विवरण देने वाला यह पुराण विष्णु के वाहन गरुड़ को समर्पित है। मोक्ष प्राप्ति के उपायों और विभिन्न व्रतों के महत्व का विस्तृत वर्णन इसमें प्राप्त होता है। नरक लोकों का विवरण और पाप-पुण्य के फलों का निरूपण इसकी विशेषता है। मृत्यु के समय इसके श्रवण की परंपरा इसके महत्व को दर्शाती है।
18. ब्रह्माण्ड पुराण
ब्रह्माण्ड की रचना से संबंधित यह पुराण विश्व की उत्पत्ति और विकास के रहस्यों को उजागर करता है। ललिता सहस्रनाम और देवी भागवत जैसे महत्वपूर्ण खंड इसमें समाहित हैं। विभिन्न लोकों का विवरण और ज्योतिष शास्त्र के सिद्धांत इसकी विशेषता हैं। ब्रह्माण्ड विज्ञान से जुड़े गूढ़ तत्वों को समझने में यह विशेष सहायक है।
समापन विचार
हिंदू धर्म के ये अठारह पुराण ज्ञान के अक्षय भंडार के समान हैं। प्रत्येक पुराण अपने विशिष्ट दृष्टिकोण और विषय वस्तु के साथ मानव जीवन को उन्नत बनाने का मार्ग प्रशस्त करता है। इनका अध्ययन न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक और दार्शनिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। ये ग्रंथ मानवता को जीवन के उच्चतम आदर्शों की ओर अग्रसर करने में सदैव सहायक रहे हैं।
18 पुराणों पर महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी (30 प्रश्न-उत्तर)
1. पुराणों की परिभाषा क्या है?
पुराण प्राचीन भारतीय धार्मिक ग्रंथ हैं जिनमें ब्रह्मांड की उत्पत्ति, देवी-देवताओं की कथाएँ, युग धर्म, तीर्थ स्थानों का महत्व और आध्यात्मिक सिद्धांतों का विवरण मिलता है।
2. पुराणों की संख्या और संकलनकर्ता कौन हैं?
हिंदू धर्म में 18 प्रमुख पुराण माने जाते हैं जिनका संकलन महर्षि वेदव्यास ने किया था।
3. पुराणों का वर्गीकरण कैसे किया गया है?
पुराणों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया:
- सात्विक (विष्णु भक्ति प्रधान)
- राजसिक (ब्रह्मा भक्ति प्रधान)
- तामसिक (शिव भक्ति प्रधान)
4. सबसे विशाल पुराण कौन सा है?
स्कन्द पुराण सबसे बड़ा पुराण है जिसमें लगभग 81,000 श्लोक संकलित हैं।
5. सबसे संक्षिप्त पुराण कौन सा है?
मार्कण्डेय पुराण सबसे छोटा पुराण है जिसमें मात्र 9,000 श्लोक हैं।
6. किस पुराण को पाँचवें वेद का दर्जा प्राप्त है?
भागवत पुराण को अक्सर “पंचम वेद” की संज्ञा दी जाती है।
7. भागवत पुराण का मुख्य विषय क्या है?
यह पुराण मुख्य रूप से भगवान विष्णु के कृष्ण अवतार को समर्पित है।
8. दुर्गा सप्तशती किस पुराण में मिलती है?
मार्कण्डेय पुराण में दुर्गा सप्तशती का विस्तृत वर्णन मिलता है।
9. गरुड़ पुराण की विशेषता क्या है?
इस पुराण में मृत्यु के पश्चात की गतियों, नरक-स्वर्ग के विवरण और मोक्ष प्राप्ति के उपाय बताए गए हैं।
10. राधा-कृष्ण की प्रेम कथाएँ किस पुराण में हैं?
ब्रह्मवैवर्त पुराण में राधा-कृष्ण की दिव्य प्रेम कथाओं का मनोहारी वर्णन मिलता है।
11. विष्णु पुराण का मुख्य संदेश क्या है?
यह पुराण विष्णु के विभिन्न अवतारों, सृष्टि रचना और भक्ति मार्ग पर प्रकाश डालता है।
12. शिव पुराण की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
इसमें शिवजी की महिमा, लिंग पूजा, रुद्राक्ष के महत्व और शिव-पार्वती की कथाओं का वर्णन है।
13. अग्नि पुराण क्यों विशिष्ट है?
इस पुराण में आयुर्वेद, ज्योतिष, योग, राजनीति और वास्तुशास्त्र जैसे विविध विषय समाहित हैं।
14. भविष्य संबंधी भविष्यवाणियाँ किस पुराण में मिलती हैं?
भविष्य पुराण में कलियुग की घटनाओं और भविष्य संबंधी संकेतों का वर्णन है।
15. वराह पुराण का विषय क्या है?
यह पुराण विष्णु के वराह (सूअर) अवतार को समर्पित है।
16. पद्म पुराण की संरचना कैसी है?
इस पुराण को पाँच खंडों – सृष्टि, भूमि, स्वर्ग, पाताल और उत्तर खंड में विभाजित किया गया है।
17. तीर्थ स्थानों का विवरण किस पुराण में मिलता है?
स्कन्द पुराण में भारत के प्रमुख तीर्थ स्थानों का विस्तृत विवरण प्राप्त होता है।
18. कूर्म पुराण किस अवतार से संबंधित है?
यह पुराण विष्णु के कूर्म (कछुए) अवतार से संबंधित है।
19. मत्स्य पुराण की विशेषता क्या है?
इसमें प्रलय कथा, राजा मनु की कथा और मूर्ति निर्माण विधियों का वर्णन है।
20. ब्रह्माण्ड पुराण का विषय क्या है?
यह पुराण ब्रह्मांड की रचना, ललिता सहस्रनाम और विभिन्न लोकों के बारे में है।
21. नारद पुराण का मुख्य संदेश क्या है?
यह पुराण भक्ति मार्ग पर बल देता है और संगीत, नृत्य तथा वास्तु शास्त्र का वर्णन करता है।
22. शिव-पार्वती विवाह का वर्णन किस पुराण में है?
स्कन्द पुराण और शिव पुराण में शिव-पार्वती विवाह का विवरण मिलता है।
23. वामन पुराण किस अवतार से संबंधित है?
यह पुराण विष्णु के वामन (बौने) अवतार से संबंधित है।
24. गंगा अवतरण की कथा किस पुराण में है?
ब्रह्म पुराण और पद्म पुराण में गंगा अवतरण की कथा वर्णित है।
25. राजधर्म का वर्णन किस पुराण में मिलता है?
भविष्य पुराण और अग्नि पुराण में राजधर्म के सिद्धांतों का वर्णन है।
26. देवी महात्म्य किस पुराण में संकलित है?
मार्कण्डेय पुराण में देवी महात्म्य (दुर्गा सप्तशती) संकलित है।
27. योग और तंत्र विद्या का वर्णन किस पुराण में है?
अग्नि पुराण और कूर्म पुराण में योग और तंत्र विद्या का विवरण मिलता है।
28. रामायण और महाभारत की कथाएँ किस पुराण में हैं?
पद्म पुराण और ब्रह्म पुराण में रामायण और महाभारत की कथाओं का उल्लेख है।
29. श्रीकृष्ण की बाल लीलाएँ किस पुराण में वर्णित हैं?
भागवत पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण में श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन है।
30. पुराणों का मूल उद्देश्य क्या है?
पुराणों का प्रमुख उद्देश्य धर्म, ज्ञान, भक्ति और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करना है जो मनुष्य को नैतिक जीवन जीने की प्रेरणा देता है।